जूता आजमाया मुहावरे का अर्थ

जूता आजमाया मुहावरे का अर्थ

भारतीय संस्कृति के जूते को मानसिक मानव उत्पत्ति का प्रतीक माना जाता हैं। जूते हमारे चारों तरफ, समाज, परिवार और खुदरा क्षेत्र में उपयोग किए जाते हैं। जूते के संबंध में ‘जूता आजमाया मुहावरे’ का हम सभी लोगों को मालूम होता हैं। इस मुहावरे के नाम जूता होने के बाद भी इसके असली अर्थ का समझना आसान नहीं होता हैं। इसलिए इस मुहावरे को समझने के लिए हम इस लेख में जानेंगे ‘जूता आजमाया मुहावरे का अर्थ’।

जूता आजमाने से ताकत आती हैं

जूते को जड़ से जोड़ने का काम जाने वाला हर कोई व्यक्ति नहीं होता। जूते का बंधन समय से पहले खुल जाना भी अधिक दिक्कत का काम होता हैं। ऐसी स्थिति में जूता आजमाने वाले का मनोबल बढ़ता हैं। वह शक्तिषाली व्यक्ति का ढाँचा बन जाता है और उसे संभव समझ या समस्याओं पर काबू पाने में मदद मिलती हैं। इसके अलावा जूता आजमाने से व्यक्ति के हौसलों में भी ताकत आती हैं।

जूता आजमाने से हिम्मत बढ़ती हैं

दुनिया में आगे बढ़ने के लिए हिम्मत और अधिक मारमत की आवश्यकता होती हैं। ये दो चीज़ें व्यक्ति जन्म से ही मिलती हैं लेकिन इन्हें सुधारते रहना आवश्यक होता हैं। जूता आजमाने से हिम्मत और उत्साह पैदा होता हैं। जूता आजमाकर कोई न कोई नई स्थिति का हर्षोल्लास अनुभव करता हैं।

जूता आजमाने से दर्द सहने की क्षमता बढ़ती हैं

जूते अच्छी अवस्था में हो तो उसका आजमाना कोई बड़ी बात नहीं होता। लेकिन जब वह खराब होता हैं या पैर में दर्द होता हैं तो उसे जूता आजमाना थोड़ा मुश्किल ही होता हैं। जब आप ऐसी स्थितियों का सामना करते हैं तो आपकी सामने ये टेस्ट आता हैं कि आप कितना सहनशील हो। जूता आजमाने से दर्द सहने की क्षमता बढ़ जाती हैं।

जूता आजमाए बिना असफलता नहीं मिटती हैं

असफलताएं जीवन का हिस्सा होती हैं। ये आपके जीवन में कई बार आती हैं। जूता आजमाने के दौरान कोई भी इन्हें झेले बिना कामयाब नहीं हो पाता हैं। जूता आजमाने से हमारी सोच में स्वचालित रूप से ऐसी सोच आती हैं कि हम निरंतर कोशिश करते रहते हैं तो असफलता भी अंततः कामयाबी में बदल जाएगी।

जूता आजमाने से नेतृत्व की विशेष बढ़त होती हैं

नेतृत्व रोमांचन युक्त एक बहुत ही महत्वपूर्ण गुण हैं। नेतृत्व के बेस्ट वालों के पास ऐसी क्षमता होती हैं जो उन्हें उनके संगठन या टीम से करीब जोड़ती हैं। जूता आजमाने से भी नेतृत्व विशेष बढ़त होती हैं। जूता आजमाने वाले की बोलबाला बढ़ जाती हैं जिससे वो सिरे से नीचे तक की समस्याओं को संभाल सकता हैं।

जूता आजमाने से समस्याएं आसानी से समझ में आती हैं

प्रत्येक समस्या या स्थिति का एक असाधारण हल होता हैं। समस्याओं को समझने की क्षमता और बुद्धिमत्ता को सफ़लता में बदलना होगा। जूता आजमाने से समस्याएं आसानी से समझ में आती हैं। जूते आजमाकर हम दर्शक का बेहतर बनने का प्रयास करते हैं। समस्याओं को समझने के लिए वह समस्याओं के सभी पहलूओं को देखते हैं और उसे सोल्यूशन तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं।

संगठन में जूता आजमाना बहुत महत्वपूर्ण होता हैं

जूता आजमाना एक संगठनिक संवाद का हिस्सा हो सकता हैं। एक संगठन में एक व्यक्ति जूता बंधते वक्त दूसरे व्यक्ति का सहायता जरुर लेता हैं। संगठन में जूते आजमाना बहुत महत्वपूर्ण होता हैं क्योंकि इससे संगठन में एक अच्छी टीम का हिस्सा बन जाते हैं जिससे वक्त प्रबंधित हो जाता हैं।

समीक्षा

जूता आजमाने से कई संबंधित कार्यों में आसानी से कामयाबी मिलती हैं। इससे हमारे मन में कुछ अलग सोच आती हैं जो कमजोर जान परते थे वह काम सफलता का वरदान होते हैं।

  • जूता आजमाया मुहावरा सामान्य कतिपय्‍या को रोमांचित नहीं करता हैं। यह इसे आनुवादिक में अपरिचित हो जाने की वजह होती हैं।
  • इस मुहावरे को समझने के लिए हमारे राष्‍ट्र के कुछ स्थानों में ‘जूता चुवाना’ कहलाता हैं।
  • जूते को भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता हैं।
  • जूता आजमाने से व्यक्ति के हौसलों में भी ताकत आती हैं।
  • संगठन में जूते आजमाने से संगठन में बेस्ट टीम का हिस्सा बन जाते हैं।

इन सभी कारणों से जूता आजमाने से हमें कुछ न कुछ सीखने वाला होता हैं। जूता आजमाएं, अपनी हिम्मत बढ़ायें, मुश्किलों का सामना करें, संगठन सहित अधिक कुशल तीम बनायें। इन सभी आवश्यक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ये महत्वपूर्ण फैक्टर हैं।

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