कहानी कैसे आया जूता

कहानी कैसे आया जूता

जब हम मुंबई में रहते थे तब हमारे नाते का एक व्यक्ति एक संभावित कथाकार था। उसने हमें एक बार अपनी कहानियों के बारे में बताया। हमें उसने अपनी एक कहानी सुनाई है जिसका नाम है “कैसे आया जूता”। यह कहानी असल में एक सच्ची है।

कहानी का संग्रह

एक बार दोस्त ने हमसे यह कहा कि वह नक़ली चीज़ों की दुकान से हमेशा कुछ न कुछ ख़रीदता रहता है। वह यह सोचता है कि इन चीज़ों में उसे कुछ महंगे वस्तुएं और अनमोल सामग्री मिलती हैं। कुछ दिनों बाद, उस दुकान में उसने एक जूता ख़रीदा। यह भारी था और दिन भर में उसे बहुत तकलीफ पहुंचाया। उसने अंत में अपने जूते को अपने कॉलोनी में फ़ेक दिया।

एक दिन, उसने अपने दोस्त को अपनी कहानी सुनाई। उसने अपना दुकान और जूते की कहानी बताई। उसने बताया कि उस जूते में जो सामग्री थी, उसे दोस्त ने कोई अनमोल मूल्य हो सकता है। अगले दिन, दोस्त उस जूते को उठाकर उससे खेलने लगा।

संकेतों के साथ खोज

कुछ दिनों बाद, दोस्त ने एक प्रेस रिलीज़ देखी जिसमें एक प्रख्यात किसान ने बताया कि उसके खेत में उसने अनमोल सामग्री खोज ली है। सामग्री उनके काम के थी। दोस्त ने चक्रवाद सोचा और उस जूते को उस किसान के पास भेज दिया। किसान ने जूते की जाँच की और उसकी असली कीमत से ज्यादा कीमत में जूते को खरीद लिया।

समाप्ति

अंत में, दोस्त ने कहा कि उस दिन से उसकी नज़र में सब कुछ बदल गया। उसने यह महसूस किया था कि कुछ सच में अनमोल हो सकता है। उसने यह भी समझा कि कुछ सामग्री उसलिए नहीं होती है कि आपके पास उसकी कीमत न हो। इस कथन से हमारे दोस्त ने हमें सीख दी कि हमें हमेशा अपने सामग्री की सही कीमत को समझने की आवश्यकता होती है।

  • जूता बेचने वाले को सच्ची कहानियाँ सुनाएं।
  • सामान की सच्ची कीमत को समझें।
  • संभावित कथाकार से सीखें।
  • किसी की कही बात से सीख लेने की आदत डालें।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हम हमेशा उन छोटी-छोटी बातों से ज्यादा सीख सकते हैं जो हमें आती हैं। बचपन में हमें कहा जाता है कि “छोटा कद कोई नहीं होता जब उसमें बड़े दिल होते हैं”। सच में, यह इस कहानी के जूते के साथ हुआ। हमें हमेशा सावधान रहना चाहिए जब हम कुछ खरीदते हैं और हमेशा अपनी सामग्री को सच्चे मूल्य से समझें।

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